इंदौर, 22 फरवरी 2020, भारतीय जनता पार्टी नगर अध्यक्ष श्री गोपीकृष्ण नेमा ने आज बयान देते हुए कहा कि शहर के विकास और जनता के हित में शहर के नागरिकों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा हो इसके लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी इन दोनों दलों के पार्षदों के द्वारा नगर निगम परिषद बैठकों में अपने-अपने वार्डों के छोटे बड़े कामों के प्रस्ताव शामिल करवाए गए, जो कि निगम परिषद में पास भी हो गये। लेकिन निगम परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात प्रदेश सरकार के द्वारा नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति की गयी।
आपने बताया कि सरकार द्वारा नियुक्त इन निगम प्रशासक महोदय के द्वारा शहर की जनता के हितों की चिंता किये बगैर विकास के 200 से अधिक प्रस्तावों को निरस्त करना जनता के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों और शहर की जनता का घोर अपमान है। निरस्त किए गए इन प्रस्ताव को भाजपा कांग्रेस दोनों दलों के पार्षदों ने जन इच्छा एवं जनता की मांग पर निगम में पारित करवाए थे।
आपने कहा कि आज तक इंदौर के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि निर्वाचित परिषद के प्रस्ताव 0 किए गए हो,और वो भी जिन्हें परिषद में स्वीकृति दी गई हो।
आपने कहा कि विकास के किसी भी काम का परिषद में प्रस्ताव आने के पूर्व विभागीय अधिकारी एवं निगम आयुक्त द्वारा स्वीकृत, हस्ताक्षरित होकर ही परिषद में चर्चा हेतु विषय प्रस्तुत होता है और स्वीकृति अस्वीकृति होती है।
आपने कहा कि इन 200 प्रस्ताव का कोई परीक्षण, गुण- दोष को आधार नहीं बनाते हुए सीधे निरस्त करना प्रशासक की तानाशाही या हठधर्मिता को दर्शाता है। इन प्रस्तावों से प्रभावित होने वाले वार्डों के नागरिकगण प्रस्ताव निरस्त होने पर पुनः छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
श्री नेमा ने अपनी बात रखते हुए निगम प्रशासक महोदय से आग्रह किया है कि वे अपनी हठधर्मिता को छोड़ जनता के हित में लिए गए इन प्रस्तावों को पुनः मंजूर करते हुए यथावत रखें, ताकि आपकी तानाशाही का शिकार शहर की जनता ना हो सके।