*पत्रकार-वार्ता*
*कृषि और किसान कल्याण के मामले में नाकाम और निकम्मी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार....*
इंदौर 02 दिसम्बर,2019/भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री विक्रम वर्मा ने आज भाजपा कार्यालय पर पत्रकार-वार्ता में सम्मानीय पत्रकार बंधुओं से कांग्रेस की प्रदेश सरकार की नाकामी पर विस्तृत चर्चा की। पत्रकार वार्ता में प्रमुख रूप से नगर अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा, कमल बाघेला, कल्याण देवांग, जे पी मूलचंदानी, अभिषेक बबलू शर्मा, देवकीनंदन तिवारी, मुकेश मंगल, कमल वर्मा, निरंजनसिंह चौहान भी श्री विक्रम वर्मा के साथ उपस्थित थे।
श्री विक्रम वर्मा ने कहा कि एक साल बीतने को है अब तो कर्ज़ माफी का वचन निभाए सरकारः-कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा था, सभी किसानों का 2.00 लाख तक कर्ज़ माफ करेंगे, जिसमें सहकारी बैंक एवं राष्ट्रीकृत बैंकों का चालू एवं कालातीत कर्ज शामिल रहेगा। कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया कि सरकार बनते ही 10 दिन में कर्ज माफ कर देंगे, नहीं कर्जा माफ हुआ और ना ही मुख्यमंत्री ही बदले गए। म.प्र. की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार 25 प्रतिशत किसानों की भी कर्ज़ माफी नहीं कर पायी है। इस कारण किसान भरोसे में फसल बीमा सहित अन्य सुविधाओं से भी वंचित रह गया। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में जीरो प्रतिशत ब्याज योजना का वास्तविक लाभ देने का वचन दिया था। खरीफ ऋण की डयू-डेट 31 दिसम्बर तय करेगें का वादा किया था, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं किया। म.प्र. के किसान को कालातीत घोषित कर दण्ड ब्याज सहित कर्ज की वसूली की जा रही है तथा किसानों को सहकारी एवं राष्ट्रीकृत बैंकों से पुर्न ऋण वितरण भी नहीं हो पा रहा है। वित्त पौषण नहीं होने से किसानों का काम प्रभावित हो रहा है।
कांग्रेस को जनता के सामने यह स्पष्ट करना चाहिये कि जब विधानसभा चुनाव में 2 लाख की कर्ज माफी का वादा किया था तो उसके लिये धन का प्रावधान क्यों नहीं किया गया था। बात-बात पर केन्द्र सरकार को कोसने वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सीधे-सीधे किसानों को धोखा दिया है।
आपदा प्रबंधन और बाद मुआवजा व राहत राशि देने में नाकाम कांग्रेस सरकार :-इस वर्ष प्रदेश के 52 जिलों में से 32 जिलों में अतिवर्षा से आई बाढ़ में हजारों घर बह गए, मवेशी, गाय, भैंस आदि हजारों की संख्या में बहकर मर गए। किसानों के घरों में रखी सोयाबीन, गेहूँ, सरसों, लहसुन, चना आदि बीज नष्ट हो गये। किसानों के घरों की तबाही ऐसी हुई की सर छुपाने की जगह नहीं बची। मुख्यमंत्री, मंत्री प्रभावित गाँवों में समय पर नहीं पहुँचे। सरकार आपदा प्रबंधन में पूर्ण रूप से नाकाम रही है। मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के द्वारा अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त फसलों का निर्धारित मापदण्डों के अनुसार विधिवत आंकलन कर आज दिनांक तक कोई रिपोर्ट जमा नही की गई। अनुमानित आंकड़ों के बल पर ही मात्र शिगुफेबाजी करने का कार्य हुआ है। वहीं दूसरी और केन्द्र की माननीय नरेन्द्रजी मोदी की सरकार ने मध्यप्रदेश के किसानों के प्रति अपना संवेदनशील रवैया रखते हुए किसानों को राहत देने के लिये 1000 करोड़ की राशि प्रदेश सरकार को दी है। अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार बताये कि यह राशि कितने किसानों को वितरित की गई।
क्या सरकार के आपदा प्रबंधन का जो करोड़ों रूपया था उसका उपयोग ट्रांसफर उद्योग के भत्तों में अर्थात मंत्रियों के बंगले, गाडी की चमक दमक में खर्च कर दिया है। कमलनाथ सरकार के पास इस बात का क्या जवाब है कि जब हमारी सरकार ने गेहूॅ पर 200 रूपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त देने के साथ-साथ सालभर में लगभग 33 हजार करोड़ रूपया मध्यप्रदेश के किसानों को बिना केन्द्र की मदद के दिया था। तो फिर कमलनाथ सरकार किसानों की फसल की सामान्य खरीदी करने में भी धन का रोना क्यों रो रही है।
यूरिया का संकट निकम्मी और संवेदनहीन कांग्रेस सरकार की उपजः- केन्द्र में कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौर में देश भर में यूरिया की कालाबाजारी जोरों पर थी, किसानों को यूरिया के संकट से जूझना पड़ता था, यूरिया मांगने वाले किसानों पर लाठी चार्ज की घटनायें आम थी। केन्द्र में माननीय नरेन्द्र मोदीजी की सरकार आने के बाद देश में यूरिया की उपलब्धता किसानों तक करने के लिये सार्थक प्रयास किये गये। संकट समाप्त किये गये, कालाबाजारी और अन्य उपयोग रोकने के लिये नीम कोटेड युरिया का उत्पादन कराया गया। मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार रहते हुए किसानों को यूरिया की उपलब्धता समय से पहले सुनिश्चित करा ली जाती थी। अब मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार में फिर वही दौर लौटकर आ गया। यूरिया मांगने वाले किसानों की लंबी लाईनें दिखाई देने लगी। किसान परेशान है, लेकिन लगातार तबादलों में तल्लीन, रेत और शराब के कारोबार में व्यस्त कांग्रेस की सरकार किसानों के प्रति संवेदनहीन बन गई है। रबी की फसल प्रदेश में कितने हेक्टेयर में बोई गई इसका आंकलन सरकार करने में नाकाम सिद्ध हुई, बल्कि ऐसा करने का सरकार की और से विधिवत कोई कार्य भी नही हुआ जिस कारण किसानों की मांग के अनुसार खाद विशेषकर यूरिया का संकट पैदा हो गया। कांग्रेस सरकार करप्शन, कालाबाजारी और कुशासन का प्रतीक बनकर किसानों के संकट का कारण बन गई है। केन्द्र की मोदी सरकार मांग के अनुसार यूरिया उपलब्ध कराने को लगातार तत्पर रही है और आपूर्ति में केन्द्र सरकार की ओर से कोई बाधा नहीं है।
धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी की ना व्यवस्था और ना ही मंशाः-खरीब की फसल विशेषकर धान के समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का प्रंबधन आज दिनांक तक प्रदेश सरकार द्वारा नही किया गया हैं। दो-दो बार खरीदी करने की तारीखें बढ़ाई गई है। आज भी खरीदी करने के लिये आवश्यक संसाधन नही जुटाये गये है और ना ही व्यवस्थागत तैयारियां की गई है। मजबूरन समर्थन मूल्य से नीचे अपनी उपज बेचने पर किसान मजबूर है।
खेती के लिए किसानों को 12 घण्टे बिजली दे सरकार :-कांग्रेस के वचन पत्र में कहा था, किसानों को थ्री फेस की बिजली प्रतिदिन 12 घण्टे देना सुनिश्चित करेंगे, जिसमें कम से कम 8 घण्टे दिन का समय रहेगा, सरकार नियमित रूप से खेती के लिये दिन में 12 घण्टे बिजली देने का वचन पूरा करे और ग्रामीण क्षेत्रों में अविलंब कटौती बंद कर नियमित रूप से दिन में 24 घण्टे घरेलू बिजली की आपूर्ति करें।
पिछले साल गेहूं के समर्थन मूल्य में 160 रूपया प्रति क्विंटल अतिरिक्त राशि किसानों को देने का वादा कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने किया था और उसे बाकयदा विधानसभा को आश्वस्त किया था लेकिन किसानों के साथ धोखेबाज सरकार ने वह राशि आज दिनांक तक किसानों को नहीं दी, इससे यह स्पष्ट होता है कि न केवल कांग्रेस सरकार की कथनी और करनी में अंतर है बल्कि गुमराह करना, धोखा देना इनकी आदत बन गई है।
देवकीनंदन तिवारी
नगर मीडिया प्रभारी
भाजपा, इंदौर